लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा । Manual Accounts क्या है

Definition of Manual Accounts. इस आर्टिकल में आपको Manual Accounts के बारे में बताऊंगा कि लेखांकन क्या है और लेखांकन की परिभाषा क्या है और लेखांकन क्यों जरुरी है और Account कैसे सीखें आज हम इसी के बारे में जानेंगे किसी भी Accounts के सॉफ्टवेर में काम करने के लिए हमे मैन्युअल अकाउंट के बारे में बेसिक नॉलेज होना बहुत जरुरी है टैली और बिजी में काम करने के लिए भी Accounts के नियम और परिभाषा के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है। यहाँ मैं आपको लेखांकन के बारे में विस्तार से बताऊंगा।

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लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा –

लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा गत कुछ शताब्दियों में आर्थिक एवं सामाजिक विकास के साथ बदलती रहती है पारस्परिक दृष्टि कोण से लेखांकन के अंतर्गत अंतिम खाते अर्थात लाभ – हानि (profit and loss) खाता एवं चिटठा बनाकर क्रम से वित्तीय वर्ष के लाभ या हानि निर्धारण करना तथा वित्तीय वर्ष की अंतिम तारीख को व्यवसाय (buisness) की आर्थिक स्थिति का पता करना शामिल है ।

अब लेखांकन के मूल तत्वों के बारे में भी समझ लेते हैं।

लेखांकन के मूल तत्व –

मानवीय मस्तिक की अपनी विशेषता है भूलना, जीवन पर्यंत घटित घटनाओं ( व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनैतिक, अथवा आर्थिक ) को लम्बे अन्तराल तक स्मृति (याद) में नहीं रख सकता है अर्थात पूर्ण अथवा आंशिक स्मृति हो जाती है प्राचीन मानव की जीवन की आवश्यकताएं सीमित थी सामाजिक अवस्था के आभाव से व्यक्तिवाद प्रभावित था धीरे-धीरे मनुष्य ने अपनी आवश्यकताएं बढाई. ज्ञान का विस्फोट हुआ, उत्पादन की तकनीकों का अविष्कार हुआ उत्पादन छोटे पैमाने से बढ़कर वृहत स्तर पर होने लगा इससे बाजार का जन्म हुआ और एक नए शब्द “लेने-देने” का प्रादुर्भाव हुआ इसके बाद जो लेन-देन जो लोग आपस में वस्तुओं से करते थे अब वह मोद्रिक यानि मुद्रा से होने लगा। अब सबसे प्रमुख समस्या विभिन्न पक्षकारों के मध्य हुए व्यवहारों के याद रखने की आई यही अब मानव जाति को एक ऐसी तकनीक की आवश्यकता “पहले लिख पीछे दे” और “भूल पड़े कागज से ले” की तर्ज पर महसूस हुई जो व्यवहारों (transactions) को दर्ज कर उनसे आर्थिक सूचनाएं प्रदान कर जिसे जो अलग-अलग पक्षकारों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई आज प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा यह जानने की है की उसकी कुल आय विभिन्न स्रोतों से कितनी हो तथा उसका उपयोग उसे किन-किन कार्यों हेतु धन का सदुपयोग लेखांकन द्वारा ही संभव है।

आइये अब हम लेखांकन के उद्देश्यों के बारे में भी जान लेते हैं।

 

लेखांकन के उद्देश्य-

1. समस्त आर्थिक व्यवहारों का लेखा –


लेखांकन का प्रथम उद्देश्य लेखा पुस्तकों में समस्त लेखा व्यवहारों का लेखा करना है इससे अशुद्धि एवं गबन (घपला) की संभावना कम हो जाती है।

2. लाभ-हानि का निर्धारण –


प्रत्येक व्यवसाय (buisness) सामान्यतः लाभ कमाने के उद्देश्य से चलाये जाते हैं। अतः प्रत्येक व्यवसायी यह जानना चाहता है की एक निश्चित अवधि के दौरान व्यवसाय से उसे कितना लाभ हुआ है या हानि तथा इस लाभ हानि की राशि क्या है इसके लिए लेखा पुस्तकों में दर्ज व्यवहारों के आधार पर लाभ हानि खाता तैयार किया जाता है इस प्रकार लेखांकन का एक प्रमुख उद्देश्य लाभ हानि का निर्धारण करना है।

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3. वित्तीय स्थिति का चित्रण –
 
लेखांकन का एक प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय की वास्तविक आर्थिक स्थिति का चित्रण करना है चिट्ठे के द्वारा यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि व्यवसाय में विनियोजित धन का उपयोग किन किन चल एवं अचल संपत्तियों में किया गया है तथा वह धन कहां कहां से प्राप्त किया गया है।
4. व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण –
 
लेखांकन के माध्यम से व्यवसाय के उत्पादन, लागत, विक्रय, लाभ -हानि इत्यादि से संबंधित समंक (data)प्राप्त किए जा सकते हैं इन वास्तविक समको की अन्य कर्मों की समको अथवा गत वर्षो के समको से तुलना करके अंतरों की जानकारी की जाती है।

5. व्यवसाय में हित रखने वाले पक्षकारों को सूचनाएं उपलब्ध कराना –

 
व्यवसाय में सर्वाधिक हित स्वामी का होता है किंतु इसके अतिरिक्त प्रबंधक, श्रमिक, वर्तमान एवं भावी निवेशक, लेनदार, सरकार आदि सभी को सूचनाएं लेखांकन के द्वारा कराई जाती हैं।

6. कर (Tax) संबंधी विवरणिका तैयार करना –

 
वर्तमान में सरकार द्वारा व्यवसाय पर अनेक प्रकार से करारोपण किया जाता है जैसे माल सेवा कर (GST Tax), आयकर (Income Tax), धनकर (Wealth Tax), विक्रयकर (Sales Tax), सेवाकर (Service Tax) इत्यादि। लेखांकन लेखांकन का एक उद्देश्य इन करो (Taxes)से संबंधित विवरणिका तैयार करना भी है।

7. वित्तीय संस्थाओं को आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराना –

 
व्यवसाय द्वारा वित्तीय संस्थाओं से धन प्राप्त करने पर इन संस्थाओं को समय-समय पर व्यवसाय से संबंधित अनेक प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध करानी पड़ती हैं जैसे स्टॉक व देनदारों (Debtors) की स्थिति, व्यवस्थाओं की लाभदायकता एवं आर्थिक स्थिति आदि। वित्तीय संस्थाओं को समस्त वांछित सूचनाएं उपलब्ध कराना भी लेखांकन का प्रमुख उद्देश्य है।

इस लेख में हमने लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा और उद्देश्यों के बारे में जाना है। इससे अगले लेख में हम आपको लेखांकन की विधियां और खाता प्रणालियों के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप हमारी वेबसाइट पर नए हैं और अकाउंट्स के बारे में ऐसे और लेख पढ़ना चाहते हैं तो अभी हमारे न्यूज़लेटर को सब्सक्राइब कर ले क्योंकि हम लेखांकन के बारे में यानी अकाउंट से संबंधित लेख इस वेबसाइट पर डालते रहते हैं सब्सक्राइब करने पर आपको हमारे नए लेख का नोटिफिकेशन मिल जाएगा।

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