Indian Book Account System and Methods of Accounting. भारतीय बहीखाता प्रणाली क्या है और लेखांकन की विधियां क्या है जब तक आप लेखांकन की विधि और इसकी प्रणालियों के बारे में अच्छी तरह नहीं जान लेते हैं तब तक आपको अकाउंट के बारे में पूरी तरह समझ नहीं आएगा।

अकाउंट सीखना बहुत आसान है अगर आप दिल लगाकर समझने की कोशिश करेंगे तो बहुत जल्दी ही आप इसके नियम और विधियों को जान जाएंगे। इस आर्टिकल में मैं आपको एकाउंट्स की विधि, एकाउंट्स की आवश्यकता क्यों है और भारतीय खाता बही प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताऊंगा।
इससे पिछली पोस्ट में मैंने मैनुअल अकाउंट यानी लेखांकन क्या है के बारे में डिटेल से समझाया था अगर आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो मैं आपको सजेस्ट करूंगा कि इस पोस्ट को पढ़ने से पहले इससे पहले जो मैंने पोस्ट की है उसको पढ़लें क्योंकि अगर आप शुरू से ही लेखांकन को समझकर चलोगे तो आपको आगे आने वाली पोस्ट को समझने में आसानी होगी।
आइए अब हम लेखांकन की विधियां और भारतीय बहीखाता प्रणाली के बारे में जानेंगे।
लेखांकन की विधियां – Methods of Accounting
बिजनेस का पैमाना छोटा हो या बड़ा या फिर मध्यम विनियोजन मात्रा बिजनेस का क्षेत्र व प्रकृति भावी लाभ, कानूनी आवश्यकता, सूचनाओं की आवश्यकता आदि को दृष्टिगत रखते हुए ही लिए लेखांकन पद्धति का निर्धारण किया जाता है। वर्तमान में भारत वर्ष में तीन लेखांकन पद्धतियां हैं।
- भारतीय बहीखाता प्रणाली पद्धति
- इकहरा लेखा प्रणाली पद्धति
- तथा दोहरा लेखा प्रणाली पद्धति प्रचलन में है।
इन तीनों लेखा प्रणालियों को आप इस संक्षिप्त विवरण से सीख सकते हैं।
1. भारतीय बहीखाता प्रणाली – Methods of accounting in India
प्राचीन काल से ही लेखांकन हेतु भारतीय खाता बही प्रणाली को ही उपयुक्त एवं वैज्ञानिक माना गया है। साधारण भाषा में इसे देशी प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है।
- दोहरा लेखा प्रणाली की विभिन्न अवस्थाएं और आधारभूत लेखांकन शब्दावली – Basic Accounting Glossary
भारतीय बहीखाता प्रणाली की विशेषताएं और सिद्धांत – Features and Principles Accounting
- भारतीय बहीखाता प्रणाली का प्रचलन केवल भारत देश में ही है।
- इस प्रणाली में किसी भी भारतीय भाषा में लेखा करना संभव है।
- अंग्रेजी ज्ञान की आवश्यकता नहीं क्योंकि इस प्रणाली में अंग्रेजी भाषा का कोई स्थान नहीं है।
- लेखांकन हेतु देशी लाल पुट्ठे वाली बहियों को प्रयोग में लिया जाता है।
- इस प्रणाली में भी प्रारंभिक लेखा व खाता बही में खतौनी की जाती है एवम कच्चा आंकड़ा, माल खाता, लाभ हानि खाता, तथा पक्का आंकड़ा बनाया जाता है।
- उपयुक्त विवरण अवश्य व्यवसाय के लाभ हानि, वास्तविक व आर्थिक स्थिति का ज्ञान होता है।
- इस प्रणाली में लेखांकन कार्य के लिए देसी शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे जमा पक्ष एवं नाम पक्ष, सिरा एवं पेटा, कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष।
- इसके अलावा इस प्रणाली में देशी महीनों का प्रयोग किया जाता है जो चेत्र से फाल्गुन तक होते हैं।
नोट – जमा पक्ष और नाम पक्ष को हम अंग्रेजी में debit और credit कहते हैं। शार्ट में इन्हें Dr व Cr नाम से संबोधित किया जाता है।
देसी महीने कौन-कौनसे हैं –
चेत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मंगसिर, फोस, माघ, व फाल्गुन।
2. इकहरा लेखा प्रणाली –
यह प्रणाली छोटे व्यापार के लिए उपयुक्त है क्योंकि बिजनेसमैन का उद्देश्य बिजनेस से होने वाली शुद्ध लाभ और हानि की जानकारी प्राप्त करना ना होकर केवल अनुमानित लाभों की जानकारी प्राप्त करना होता है।
3. दोहरा लेखा प्रणाली – Double Accounting System
यह प्रणाली इस मान्यता पर आधारित है कि बिना दो पक्षों के कोई लेन-देन संभव नहीं होता है। इसका लेखा भी दो पक्षों में किया जाता है। जिसमें एक पक्ष को डेबिट (debit) तथा दूसरे पक्ष को क्रेडिट (credit) किया जाता है। लेखांकन का संपूर्ण कार्य प्रारंभिक लेखा, वर्गीकरण सारांश लेखन, द्विपक्षीय अवधारणा से प्रभावित रहता है। इस प्रणाली में यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति संपत्ति देता है तो दूसरा पक्ष प्राप्त करने वाला होगा। यदि कोई सौदा एक पक्ष के लिए इनकम है तो दूसरे पक्ष के लिए वही सौदा व्यय (expenses) होगा। शॉर्ट में हम यह कह सकते हैं कि business में हुए समस्त लेनदेन (ट्रांजैक्शन) को क्रमबद्ध नियम एवं व्यवस्थित रुप से लिखने की क्रिया ही दोहरा लेखा प्रणाली है।
आइए अब दोहरा लेखा प्रणाली के सिद्धांत के बारे में जान लेते हैं।
दो पक्ष – प्रत्येक व्यवहार में अनिवार्यतः दो पक्ष होते हैं एक नाम पक्ष और दूसरा जमा पक्ष।
दो पक्षों पर लेखा – प्रत्येक लेनदेन दो पक्षों को प्रभावित करता है अतः लेखा भी दोनों पक्षों में कंपलसरी होना चाहिए।
दो पक्षों पर समान प्रभाव – एक पक्ष को जितनी राशि से नाम किया जाता है दूसरे पक्ष को उतनी ही यानी समान राशि से जमा किया जाएगा।
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प्यारे पाठको आपने इस आर्टिकल में सीखा है भारतीय बहीखाता प्रणाली और उसकी विधियां व सिद्धांतों के बारे में। अगर आपको इस पोस्ट से कुछ फायदा हुआ है तो हमें कमेंट में बताएं 2 मिनट का टाइम दे कर सोशल मीडिया पर भी शेयर करें। अगर कुछ समझने में कठिनाई हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।